प्राचीन ऋषि जिनके लिए माना जाता है, ध्यान के माध्यम से वह हमारे ब्रह्मांड की प्राकृतिक ऊर्जा को आत्मसात करने में सक्षम थे। वह भी उषा, इला तथा सरस्वती आदि दिव्य मातृ शक्तियों की बात करते हैं। आगे चलकर पुराणों में, जिनमें ब्रह्मांड के निर्माण, विनाश, देवताओं की वंशावली आदि दृष्टांत शामिल हैं, यही दिव्य मातृ शक्ति, अमंगलीय शक्तियों पर मंगलकारी शक्तियों की विजय तथा दुष्टों का विनाश करने वाली एक शक्ति बन गईं।