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भारतीय ग्रंथों तथा पुराणों में देवी दुर्गा का वर्णन – भाग ५

पिछले अंकों में आप मेधा ऋषि द्वारा महाकाली (पहला अध्याय), महालक्ष्मी महिषासुरमर्दिनी (दूसरे से चौथे अध्याय तक), तथा विभिन्न दैत्यों, राक्षसों, दानवों के मध्य युद्धों का वर्णन पढ़ चुके। चतुर्थ अंक में हम आपको महासरस्वती रूप की कथा, जिसका वर्णन मार्कंडेय पुराण के पांचवें से तेहरवें अध्याय में किया गया है, का वर्णन कर रहे थे। आपने पढ़ा था कि शुम्भ-अशुम्भ का दूत सुग्रीव महादेवी से उसके स्वामी के दास बनने की आज्ञा देता है। जिस पर महादेवी क्या उत्तर देती हैं-

महादेवी प्रस्ताव अस्वीकार कर कहती हैं कि यह उनको ज्ञात है कि शुम्भ महाबलवान हैं तथा निशुम्भ भी महापराक्रमी है किंतु वह भी प्रतिज्ञा तोड़ नहीं सकती। वह दूत को यह कहते हुए प्रस्थान के लिए कहती हैं कि उन्होंने जो भी कहा है वह जाकर यथा वचन अपने स्वामीजनो को कहे। तत्पश्चात उसके स्वामीजन जो उचित जान पड़े वह प्रायोजन करें।
अपेक्षाकृत प्रत्युत्तर नहीं मिलने पर दूत विस्मित हो प्रस्थान करता है तथा दैत्यराज को विस्तारपूर्वक घटना का वर्णन सुनाता है। दूत के वचन सुन कर दैत्यराज कुपित हो सेनापति धूम्रलोचन को माँ भगवती के केशों से घसीटते हुए, बलपूर्वक अपहरण का आदेश देता है।

शुम्भ की आज्ञानुसार सेनापति धूम्रलोचन साठ हजार असुरों की सेना के साथ लेकर तुरंत युद्ध के लिए प्रस्थान करता है। हिमालय आगमन पर वह महादेवी को युद्ध के लिए ललकारते हुए कहता है कि “यदि वह हठ न करते हुए प्रसन्नता पूर्वक असुरराज शुम्भ-निशुम्भ की दासता स्वीकारेंगीं तो उनको क्षमादान दिया जायेगा अन्यथा बलपूर्वक बंदी बना कर घसीटते हुए महादेवी को असुरराज के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।”

देवी सरल स्वर में भोलेपन से प्रतिउत्तर में कहती हैं कि “आप स्वयम दैत्यराज के महासेनापति हैं, महाबलवान हैं तथा आपके साथ विशाल सेना भी है। ऐसी दशा में, यदि वह देवी का बलपूर्वक अपहरण कर लेते हैं, तो वह क्या कर पाएंगी?”

महादेवी के उकसाने पर जैसे ही धूम्रलोचन माँ भगवती पर आक्रमण करने का प्रयास करता है, माँ अम्बिका “हुं” शब्द के उच्चारण मात्र से धूम्रलोचन को भस्म कर देती हैं।

अपने सेनापति को भस्म में परिवर्तित देख क्रोधित साठ हज़ार दैत्यों की विशाल सेना माँ अम्बिका पर आक्रमण कर देती है। माँ अम्बिका प्रत्युत्तर में असुरी सेना पर अपने शस्त्रों, शक्तियों की वर्षा आरम्भ कर देती हैं।
असुरों की सेना माँ अम्बिका को जब इस प्रचंड युद्ध में घेर लेती है तभी माँ भगवती वाहन सिंहराज क्रोधित हो, भयंकर गर्जना के साथ असुरों की सेना पर टूट पड़ते हैं।

सिंहराज दैत्यों को अपने चंगुल में जकड़, कितने ही महादैत्योंको पटक-पटक, घायल कर वध कर देते हैं। सिंहराज क्रोध में आतुर हो सहस्त्र कपाल धड़ों से विभक्त कर देते हैं। सहस्त्र भुजाएँ तथा मस्तक विच्छेद कर अपने नखों से दैत्यों के उदर चीर डालते हैं तथा उनका रक्तपान कर लेते हैं। इस प्रकार क्षण भर में ही क्रोधाग्नि से परिपूर्ण देवीवाहन महाबली सिंहराज ने असुरों की सम्पूर्ण सेना का संहार कर डालते हैं।

शुम्भ तक जब यह समाचार प्रेषित हुआ कि उस सौन्दर्यदेवी ने धूम्रलोचन असुर का वध कर सम्पूर्ण सेना का संहार कर डाला है तो वह सर्वप्रथम आश्चर्य चकित हुआ तत्पश्चात क्रोध में थरथराने लगा।
किंचित मात्र भी विलम्ब ना करते हुए वह अपने सेवको को चण्ड तथा मुण्ड नामक दो महादैत्यों को उसके समक्ष प्रस्तुत करने की आज्ञा देता है। चण्ड तथा मुण्ड के सम्मुख आने पर वह उनको विशाल सेना लेकर देवी के साथ युद्ध के लिए प्रस्थान करने का आदेश देता है।

वह चण्ड तथा मुण्ड को यह भी आदेश देता है कि देवी को बंदी बना कर उसके समक्ष प्रस्तुत किया जाये। वह यह देखने के लिए व्याकुल है कि यह कौन देवी है जिसने मेंरे महाबलशाली सेनापति धूम्रलोचन और सहस्त्र सैनिकों की सेना का संहार कर डाला है।

असुरराज का यह भी अनुदेश सुनाया जाता है कि यदि इस प्रकार उसको बंदी बनाने में संदेह हो तो युद्ध में सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों तथा समस्त आसुरी सेनाका प्रयोग कर उसका वध कर उसके शव को यहाँ लाया जाये। इसका भी ध्यान रखा जाये कि वह सिंह जीवित ना रहे तथा उसके शव को यहाँ घसीट कर लाया जाये।
माँ भगवती के साथ चण्ड तथा मुण्ड के युद्ध की कथा हम कल आपके लिए लेकर आयेंगे। हमसे जुडे रहने के लिए आपका आभार…

सन्दर्भ-

  • https://www.symb-ol.org/app/download/11179828/Devi+Mahatmyam.pdf
  • an article by Anasuya Swain, Orissa Review.
  • https://www.louisianafolklife.org/LT/Articles_Essays/NavaratriStory.html
  • http://aranyadevi.com/aranyadevi/pdf/Durga_Saptashati.pdf
  • https://sanskritdocuments.org/doc_devii/durga700.html?lang=sa
  • https://lookoutandwonderland.com/shop/2020/3/30/nx26hcepfkuellv69balm6ebnigdzq
  • Puranic Encyclopedia: A Comprehensive Work with Special Reference

Image crdit: picxy

Devi Durga Mahatmya

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