प्रस्तुत पुस्तक उस इतिहास की झलक है जिसने भारत से मीलों दूर विदेशी भूमि पर जन्म लिया। जिसे गदर क्रांति कहा गया। क्रांतिदूत शृंखला की चौथी पुस्तक ‘गदर’ के इतिहास की समीक्षा लेकर प्रस्तुत हैं
भारतीय मानस की भावनाओं, उनकी आत्मा और उनकी आध्यात्मिकता को शब्दों में पिरोने वाले साहित्यकारों से आपकी भेंट की शृंखला में आज आपके सामने प्रस्तुत हैं नाना भाई भट्ट (नृसिंह प्रसाद कालिदास भट्ट)
कहीं किसी आँगन में बजते गीत तो कहीं किसी संत के मुंह से सुने दोहे, किसी चारण की कोई चौपाई तो कहीं किसी जंगल में गीत गाती कोई स्त्री, मेघाणी जी के लोक साहित्य में सब का संग्रह है।
काव्य, लोकसाहित्य, लोकगीत, उपन्यास, कहानियाँ, शौर्य गीत ऐसे अनेक साहित्य के रंग झवेरचंद मेघाणी जी की कलम से निकले हैं, जिन्हें पढ़कर अपनी जननी, अपनी मातृभूमि और अपनी लोक परम्पराओं से प्रेम हो जाता है। दुला भाई काग ने लिखा है
हुयेंत्संग के संस्मरणों से ये अनुमान आ जाता है की भारत उस समय विश्व के सबसे धनवान राष्ट्रों में से एक था। ज्ञानवापी का अध्यात्मिक और ऐतहासिक दृष्टिकोण लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुए हैं
१५ अगस्त की आधी रात से मुसलमानों की संगठित टोलियां तरह तरह के हथियार लिए कलकत्ते के मार्गों पर घुमती दिखाई दी। उनके लड़ाई के नारों से रात की शांति भंग हो रही थी।
माता देवहुति जी ने संसार की सभी स्त्रीयों के कल्याण एवं मुक्ति के लिए जिन प्रश्नों को भगवान कपिल जी से पूछा तथा उनके उत्तर पाए, वे अध्यात्म ज्ञान के तत्त्व कल्याणकारी एवं जानने योग्य हैं।
कर्दम जी ने देखा कि उनके यहाँ साक्षात् देवाधिदेव श्री हरिने ही अवतार लिया है, तो वे एकांत में उनके पास गए और उन्हें प्रणाम करके इस प्रकार कहने लगे। प्रभो! आपकी कृपा से मैं तीनों ऋणों से मुक्त हो गया हूँ और मेरे सभी मनोरथ पूर्ण हो चुके हैं। अब मैं सन्यास मार्ग को ग्रहण कर आपका चिंतन करते हुए शोकरहित होकर विचरूँगा। आप समस्त प्रजाओं के स्वामी हैं, अतएव इसके लिए मैं आपकी आज्ञा चाहता हूँ।
सरस्वती के जल से भरा हुआ यह बिन्दुसरोवर वह स्थान है, जहाँ अपने शरणागत भक्त कर्दम के प्रति उत्पन्न हुई अत्यंत करुणा के वशीभूत हुए भगवान के नेत्रों से आँसुओं की बूंदे गिरी थीं।
महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म जी ने लक्ष्मी जी के निवास करने वाले स्थल के बारे में बताते हुए जो वृतांत कहा था, और उस वृतांत में जो माता लक्ष्मी जी ने देवी रुक्मणी जी से कहा, वह सभी इस श्री स्थल क्षेत्र में जहाँ भगवान कर्दम मुनि का आश्रम है और बिंदु सरोवर है स्थित है। इस कारण से इसका नाम श्री स्थल होना पुर्णतः उचित है