आदिवासी दिवस की हुंकार
“गोविंद गुरु की पुकार पर उस पावन धरा पर तीन से चार लाख लोग इकट्ठे हुए और उनकी हुंकार की धमक रियासत की सीमाओं को पार करते हुए अंग्रेजों तक पहुंँच गई।”आज विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासियों के महान समाज सुधारक गोविंद गुरु को स्मरण करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व की एक विशेष झाँकी प्रस्तुत करते हुए ये लेख।