श्रीराम को किसी भी जाति तक सीमित ना करें
जिस भारतीय समाज व संस्कृति में जन्म में राम, मरण में राम, वाह में राम, आह में राम, उत्साह में राम, स्याह में राम बोला जाता है उसी समाज में श्रीराम को किसी एक जाति या वर्ग तक सीमित करने का प्रयास करना, निदंनीय है।