शक्ति की राम पूजा

भगवान राम का मनुष्यावतार मात्र रावणादि के वध के लिए हि नहीं अपितु मनुष्यों को शिक्षा देने के लिए भी हुआ है

Our Raama

This article by Author soaked in the essence of #Rāmāmṛta captures the enduring Prem & Bhakti that the bharatiyas have always held for Rama. By referencing various literary works, including those by Valmiki, Vyasa & Kalidasa, he demonstrates how Rama’s Charitra has been celebrated and revered by poets, scholars & seekers throughout history.

जन गण मन अधिनायक राम

भारत की भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विविधताओं में कोई वस्तु एकरस है तो वह राम है। ऐसे राम के गुणों का बखान करते करते भला कोई कैसे तृप्त हो सकता है।

तात राम नहिं नर भूपाला : भाग – १

अनेक मनीषियों, टीकाकारों इतिहासकारों साहित्यकारों ने अपनी अपनी दृष्टिसे रामचरित्र को देखा। कुछ ने इसे एक वीर राजपुत्र का चरित्र बताया तो किसी ने कपोल कल्पना। किसीने राम के चरित्र पर ही आक्षेप किया और किसी ने उत्तम कविता का आनंद लिया।‌ आज हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि रामचरित्र से रचनाकार कवियों को स्वयं का क्या अभीष्ट था। इस विषय में किसी मत का अवलंबन न लेकर स्वयं उनके वचनों को ही देखना चाहिए।

वेद और विज्ञान

“कुछ लोग कहते हैं वैदिक धर्म और आधुनिक विज्ञान दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं और कुछ तो सारा श्रम यह सिद्ध करने में लगा देते हैं कि वैदिक धर्म हि आधुनिक विज्ञान है। परन्तु यह दोनों मत उचित नहीं है।” आईए जानते हैं विज्ञान और धर्म के संबंध पर शास्त्रीय पक्ष।

भरि लोचन बिलोकि अवधेसा। तब सुनिहउँ निर्गुन उपदेसा।

आदिपुरुष के पक्ष में कुछ गुणिजनो का यह कहना है कि श्रीराम के रूप को किसी भी प्रकार से चित्रित किया जा सकता है क्योंकि किसी को भी उनके रूप के बारे में ज्ञात नही है। यह कितना सत्य है? आइए श्री राम के स्वरूप का वर्णन जानते हैं।

हनुमान जन्मोत्सव

रणमें हनुमान जी ने जैसे अद्वितीय कर्म किए वैसे न काल के न इन्द्र के न कुबेर के और न ही भगवान विष्णु के सुने गये हैं। यह शब्द वाल्मीकि रामायण में स्वयं भगवान श्रीरामचन्द्र के हैं।