हनुमान जन्मोत्सव

रणमें हनुमान जी ने जैसे अद्वितीय कर्म किए वैसे न काल के न इन्द्र के न कुबेर के और न ही भगवान विष्णु के सुने गये हैं। यह शब्द वाल्मीकि रामायण में स्वयं भगवान श्रीरामचन्द्र के हैं।