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स्वस्थवृत्त- स्वस्थ रहने का एक उत्कृष्ट विचार भाग 1

प्रस्तावना

आज के समय में सभी से अधिक प्रभावित कोई वस्तु अथवा अस्तित्व है तो वो स्वास्थ्य है। उत्तम स्वास्थ्य को प्राप्त करना, स्वस्थ रहना सभी की ही इच्छा होती है।  उत्तम स्वास्थ्य हेतु सभी अनेक प्रकार के उपाय करते रहते हैं, कृत्रिम फूड सप्लीमेंट लेते हैं, भांति-भांति के व्यायाम के साधन तथा युक्तियाँ अपनाते हैं। वर्तमान में स्वास्थ्य कदाचित  विशालतम उद्योग या व्यवसाय है। दवा बनाने वाली कंपनियाँ, भोज्य पदार्थ के विकल्प बनाने वाली कम्पनियाँ, जिम, प्रशिक्षक, (योग नहीं) योगा कराने वाले समूह/संगठन, अस्पताल, दवा बेचने वाले व्यावसायिक, पैथोलॉजी लैब्स, आहार-विज्ञानी तथा डॉक्टर- ये सभी स्वास्थ्य उद्योग 1 के ही भाग हैं। इसके  अतिरिक्त निजी स्तर पर लोग, विशेषकर बड़े शहरों में रहने वाले जन, नित नयी-नयी अनेक प्रकार की पद्धतियों को प्रयोग में लाते दिख जाते हैं। आपसी भेंट में आमजन सर्वाधिक स्वास्थ्य के विषय पर ही चर्चा करते पाए जाते हैं कि किस प्रकार उनके द्वारा अपनाई गयी, स्वास्थ्य बनाये रखने की प्रणाली अथवा चर्या  जिसे आमतौर पर डेली रूटीन कहा जाता है, सर्वश्रेष्ठ है। कुछ दिन पश्चात वही लोग किसी तथा प्रणाली या नयी आयी पद्धति से कुछ नया करते दिख जाते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति एक उपयोगकर्ता पुस्तिका यानि यूजर्स मैन्युअल की भांति, किसी कुंजी की तलाश में दिखता है। चूँकि प्रत्येक प्रणाली, पद्धति, चर्या में सीमित निर्देश होते हैं तथा इनका एक का दूसरे से कम ही संबंध होता है, इस प्रकार की अनेक कुंजियाँ उसके पास संकलित हो जाती हैं। इन सभीको मिला कर इस स्वास्थ्य की जिगसाव 2 के समाधान को आधुनिक व्यक्ति हमेशा ढूँढता ही रहता है। आश्चर्य की बात यह है कि फिर भी ना तो व्यक्ति का अस्वस्थ होना कम हुआ है तथा ना ही अकस्मात गंभीर रोगों का अकस्मात प्रकट होने में कमी आयी है। इसी प्रकार ना तो अस्पतालों में रोगियों की संख्या में कमी आयी है तथा न ही दवाइयों का उपभोग कम हुआ है बल्कि दिन-प्रतिदिन स्वास्थ्य का स्तर गिर रहा है, रोग तथा रोगी बढ़ रहे हैं। वातावरण दूषित होता चला जा रहा है। आधुनिक भौतिक विज्ञान की इतनी प्रगति के पश्चात भी प्राकृतिक आपदा तथा कोरोना आदि जैसे वैश्विक बीमारियों से बड़े स्तर पर लोग तथा समाज प्रभावित हो रहे हैं।

इन्ही कारणों के चलते आधुनिक वैज्ञानिक, अनेक साधन, श्रम, बुद्धि तथा गहन शोध द्वारा इन समस्याओं के समाधानों की खोज में निरंतर प्रयासरत रहते हैं। अन्य देशों के, विशेषकर पाश्चात्य देशों के, वैज्ञानिक व नागरिक इन समाधानो के लिए इस कारण प्रयासरत हैं कि उनके पास इसके लिए पूर्व में उपलब्ध कराया गया सिद्ध व विस्तृत ज्ञान-विज्ञान नहीं है। काल के साथ भारत में जो वैज्ञानिक व संस्कारिक पतन आया है, उसने दुर्भाग्यवश, हमें यह देखने से रोक रखा है कि इसके लिए भारत को नए शोध करने की तथा पाश्चात्य शोधों की मुँह बाए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। इन समस्याओं के समाधान तथा नवीन समाधान ढूँढने की प्रणाली भी आयुर्वेद में निहित है।

भारत का आयुर्वेद एक पूर्ण जीवन स्वस्थ रखने का विज्ञान है, मात्र रोग-निदान का नहीं। चूँकि यह एक पूर्ण विज्ञान है इसलिए व्यक्ति के अस्वस्थ होने की स्थिति में रोग के निदान तथा चिकित्सा का भी प्रावधान है। वह चिकित्सा भी अति विस्तृत व सूक्ष्म है जिसके हर पक्ष पर विचार किया गया है तथा व्याधि/रोग का उपचार कर व्यक्ति की स्वस्थ स्थिति को पुनःलाने के उपाय बताये गए हैं। आयुर्वेद पूर्णतया विकसित है। अनेक कालातीत विचार, नियम, चिकित्सा तथा प्रणालियों को जन-कल्याण के लिए आयुर्वेद के ज्ञाताओं, ऋषि-मुनियों ने संकलित करके हमारे हाथों में एक कुंजी की तरह ही दिया है। किन्तु इस कुंजी को पढ़ने की एक विशेष पद्धति है जो अब सार्वजनिक नहीं रह गयी है अतः हम आयुर्वेद के ग्रंथों के परंपरागत रूप से शिक्षित ज्ञाताओं के मार्गदर्शन में ही ऐसा कर पाते हैं। सौ-दो सौ वर्षों पहले तक स्वास्थ्य का ये सभी प्रायोगिक ज्ञान, नित्य किये जाने वाले कार्यों तथा नित्य पालन किये जाने वाले नियमों के माध्यम से सार्वजनिक था। इसलिए वैयक्तिक स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी रहा करती थी परन्तु वर्तमान में स्थिति इस प्रकार नहीं है।

आयुर्वेद के दो उद्देश्य कहे गए हैं। प्रथम स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा तथा द्वितीय रोगी के विकार का शमन यानि उसकी चिकित्सा तथा शरीर, मन, इन्द्रिय, बुद्धि की सम अवस्था का पुनः स्थापन।

इस आरोग्य तथा स्वस्थता की प्राप्ति के लिए आयुर्वेद का अत्यंत उत्कृष्ट व प्रभावी विचार है स्वस्थवृत्त!

स्वस्थ के लक्षण तथा उनके कारण व साधन का यह स्वस्थवृत्त, आयुर्वेद का, विश्व को दिया गया एक अद्भुत विचार है।

इस शोधपत्र ‘स्वस्थवृत्त- स्वस्थ रहने का एक उत्कृष्ट विचार’ के माध्यम से इसी स्वस्थवृत्त को जानने तथा समझने के लिए विवेचना की गयी है। स्वस्थवृत्त क्या है, इसके क्या घटक हैं, इसे कैसे स्थापित किया जाता है तथा इसके द्वारा व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा समाज के स्वास्थ्य को कैसे बना के रखा जाता है, इसका विस्तार है। भोजन व आहार अपने आप में अत्यधिक विस्तृत तथा मुख्य विषय है, एक उपविषय के रूप में उसका विस्तार यहाँ नहीं किया गया है।  मात्र उसके मुख्य सैद्धांतिक नियमों को इस शोध-पत्र में सम्मिलित किया गया है।

आधुनिक जीवन में ढले तथा जीवनयापन करते हुए, जन-साधारण क्या तथा किस प्रकार स्वस्थवृत्त का पालन कर स्वस्थ रह सकते हैं, इसकी प्रारंभिक भूमिका इस शोध-पत्र के माध्यम से सूचित की गयी है। इस शोध-पत्र के पश्चात यहाँ बताये सिद्धांतो व नियमो का तथा विशेष रूप से आहार का विस्तृत विश्लेषण जारी रहेगा।

सूचन: यदि आप यह लेख-श्रृखंला एक साथ पढ़ना चाहें तो यहाँ तो पढ़ सकते हैं.

Image credit: Wikipedia

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