स्वातंत्र्योत्तर लंबी कविताओं में भारत बोध भाग-3
लंबी कविता अभी विकासमान अवस्था में गतिशील विधा है। रचना-विधान, शिल्प सौंदर्य अर्थात बनावट और बुनावट को लेकर इसकी सैद्धांतिकी धीरे-धीरे अपना एक आकार लेती जा रही है। कथ्य और संप्रेषण तकनीक की विविधता, बहुलता और विभेदों के बाद भी युग-बोध, मूल्य बोध और जीवन दृष्टि लंबी कविताओं केंद्रीय तत्व रहें हैं। लंबी कविताएं युगीन गतिविधियों एवं वास्तविकताओं का सम्यक साक्षात्कार हैं और इस रूप में इन्हें राष्ट्र बोध का महकता हुआ दस्तावेज कहा जा सकता है।