मेरे राम

श्री रामागमन के शुभ अवसर पर इंडिका आपके सामने लेखों और कथाओं की शृंखला प्रस्तुत कर रहे हैं। अपने जीवन की स्मृतियों में बसे राम को लेकर आज हमारा सामने उपस्थित हैं श्रद्धा जी

Poison-Shiva

शिव और कालरात्रि

जब महाकाल रूप में सृष्टि के संपादन को भंग करने पर आते है तो अपने वेग से समाहित लय भंग करते डालते हैं। इसी में संजीवन का रहस्य है कि यदि शाश्वत रहना है तो महादेव की स्फूर्ति चाहिए, जो बदलाव से आगे के लिए तैयार रहे।

शक्तिपूजा, नवरात्र और राम – एक समग्र चिंतन

परंपराओं में शक्ति बल का इंगन है पुरुषार्थ की इकाई है । शक्ति वो चेतना है जो ब्रह्माण्ड के में जड़ में घुली हुई है और उसी को जब अपने बल का बोध हो जाता है तो वो कभी ओम यानी प्रणव अक्षर के “मकार” के रूप में अपने प्राकट्य से साधारण को विशेष कर देती है|।