कुवलयमाला में वर्णित यक्ष-मूर्ति जैसी अनेक मूर्तियों का दक्षिण भारत में अस्तित्व

कुवलयमाला कथा ग्रंथ के पठन के समय एक विशेष  प्रसंग की ओर मेरा ध्यान गया, जिसका विवरण एवं महत्त्व दक्षिण भारत के जैन स्थापत्य के संदर्भ में किया जा रहा है।