माहवारी के समय महिलाओं को अलग रखना, बांझ स्त्रियों को एक बरगद के पेड़ की परिक्रमा करवाना, चौमासे के समय विवाह या किसी अन्य शुभ कार्य को न करना – क्या ऐसे अंधविश्वास हमें अज्ञानता की ओर नहीं धकेलते?
क्या आप जानते हैं कि कई मंदिरों में, जहाँ भगवान को मीठे दूध और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाने की परंपराएँ हैं, वहाँ दूध को पहले उबालना होता है? ऐसा क्यूँ है?