कौटिलीय अर्थशास्त्र में वर्णित स्वधर्म संकल्पना

इस लेख का प्रयोजन उपरोक्त चार वर्णों एवं आश्रमों के स्वधर्म को कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार विस्तार से चित्रित करना है। इस लेख में राजा द्वारा उसके साम्राज्य में स्वधर्म के संरक्षण एवं प्रबंध में उसकी भूमिका का भी वर्णन किया गया है।